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मोरकुटी युगल लीलारस-20

जय जय श्यामाश्याम  !!
मोरकुटी की पवित्र भजन स्थली पर श्यामा श्यामसुंदर जु झूलन रसक्रीड़ा में निमग्न हंस जोड़े का प्रेमगीत सुन रहे हैं।प्रकृति इस तमाम रस में नहाई हुई सुंदर कोमल प्रेम भावों में डूबती जा रही है आज जैसे नित्य नवक्रीड़ा में डूबे श्यामा श्यामसुंदर जु अति प्रसन्नचित्त हुए पहली बार कोई रसक्रीड़ा कर रहे हों।धरा अम्बर प्राकृत अप्राकृत आज एकरंग में रंगे रसान्नद हुए खिलाखिला उठे हैं।श्रीनिकुंज का कण कण महक रहा है।नित्य नव लीला धारी युगल नित्य नव रंगों में र॔गे रचे दिव्य रसप्रवाह कर रहे हैं।समग्र सृष्टि का एक भी कण अछूता नहीं इस रस से।

        ऐसे दिव्यातिदिव्य रस में पगे हिमकण से रजकण में तब्दील हो चुका वह भ्रमरी के नेत्र से बहा अश्रु रसस्कित हुआ धरा में अणु रूप अंकुरित हो उठा है।धरा की नृत्य क्रीड़ा में हो रहीं नृत्य धमनियों से यह रज अणु तीव्रता से कीचड़ से उठ कर एक महकते कमल पुष्प की कली में निर्मित हो चुका है।श्यामा श्यामसुंदर जु की रसमहक से छू कर बहा यह अश्रुबिंदु युगल के रस के मद में चूर हुआ रंग राग की कृपा से प्रस्फूरित हो उठा है।

       प्रेम गीत राग की शुरुआत में समस्त वन्य जीव एक मधुर पद हंस हंसिनी के मुख से सुन भावविभोर हो जाते हैं।

"मधुरित मधुर मधुर मधु सी महारानी श्री राधे हमारी
स्फुरित सूंदर सूंदर शक्कर सौ प्रियतम श्री बांकेबिहारी
कुसुमित कुसुम कुसुम कोमल सी महारानी श्री राधे हमारी
भवरित भंवरा भंवरा भृमर सौ प्रियतम श्री राधारमनबिहारी"

        युगल हंसों का जोड़ा परस्पर पहले युगल फिर श्रीराधिका और श्रीकृष्ण की महिमा गाते हैं।इन दोनों में ऐसी आत्मियता कि जहाँ हंस हंसिनी एक ही सुर में श्यामा श्यामसुंदर जु की अविचल महिमा का गान करते हैं वहीं हंस श्रीश्यामा जु की प्रशंसा में पद गाता है और हंसिनी श्रीश्यामसुंदर जु के लिए।

        सभी निकुंज पक्षीगण युगल जोड़े संग ताल से ताल मिलाते युगल रूप ही नाच झूम रहे हैं और वहीं प्रकृति में पुष्प वल्लरी लता पता कदम्ब तमाल इत्यादि भी मंद पवन संग नाचते झूमते रसमहक को सर्वत्र उड़ा उड़ा कर रसप्रसार कर रहे हैं।सखियाँ भी निकुंज धाम में प्रियाप्रियतम जु को घेरे बैठीं इन युगल रसविभूतियों के अद्भुत भावचरित्र को देख मंत्रमुग्ध सी हैं।

        श्यामा श्यामसुंदर जु झूले परस्पर बैठे सर्वत्र फैले प्रेम राज्य में बह रही अनोखी रस सुधा का पान कर रहे हैं।श्री युगल हंस हंसिनी के वैचित्रय को देख अत्यधिक भावभावित हो उठे हैं कि कभी तो वे नेत्र निमलित कर एक दूसरे को निहारते हैं तो कभी प्रेमी युगल हंस जोड़े को।

        सुंदर पदराग गाते हंस हंसिनी अति मनमोहक लग रहे हैं।कुछ एक गहन सखियों को तो श्यामवर्ण हंस में श्यामसुंदर जु ही नज़र आ रहे हैं और गौरवर्ण हंसिनी में श्यामा जु।उनके हृदय की गहनतम परिधियों में प्रत्येक युगल में अपने श्री युगल ही दिखाई देते हैं।परस्पर प्रशंसा भरे पद गाते युगल हंस हंसिनी जैसे श्यामा जु श्यामसुंदर की और श्यामसुंदर श्यामा जु की दिव्य रूपमाधुरी का ही गान कर रहे हैं।

     बलिहार  !!अद्भुत नृत्य क्रीड़ा अब झूलन क्रीड़ा से भी जलमग्न रसक्रीड़ा का स्वरूप ले चुकी है जिससे श्यामा श्यामसुंदर जु के ही हृदय में तरंगायित प्रेम भाव गहनतम होकर उन्मत्त हुए समग्र प्रेमी युगल जोड़ों में से भावरस रूप बहने लगे हैं।अद्भुत रसीले रसिकवर जिन्होंने मोरकुटी में ध्यानस्थ इस रसराज राजरानी की दिव्य अनुभूति को नयन कोरों से गहन दरस पाया।
क्रमशः

जय जय युगल  !!
जय जय युगलरस विपिन वृंदावन  !!

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