भक्ति देवी

भक्ति देवी की प्राकट्य होने के प्रारम्भीक लक्ष्ण :-

१. सबसे पहले आप में हरि गुण , लीला , धाम , रुप को जानने और सुनने की उत्कंठा जाग्रृत होगी |

२. आपको हरि और हरि गुरु कथा में मन लगने लगेगा |

३ हरि पद संकिर्तन में मन लगने लगेगा | आप काम करते हुये | हरि गुण गीत , पद ही गुणगुणाऐगें | और ये क्रम बढ़ता जाऐगा |

४. आप बहिर्मुखी से अंतर्मुखी होने लगेंगें | आप टीवी , सिनेमा और अन्य संसारिक बातो में रुची लेना कम करने लगेगें | और एक दिन विल्कुल ही इन चीजों मे दिलचस्पी खत्म हो जाऐगी | कोइ सुनायेगा जबरदस्ती तो उसको बाहर ही बाहर रहने देंगें |

५. हमेशा इंतजार रहेगा की कब कोइ हरि कथा सुनावे , कहे और सुनने में आनन्द आने लगेगा |

६. आप इंतजार करेंगें की कब संसारी कार्य औफिस का या व्यापार का समाप्त हो दिन ढले और एकातं पायें उनको याद करने के लिय | उनको सुनने के लिये |

७ . निश्चिन्तता , निर्भिकता जीवन में उतरती जाऐगी |

८. सारी चिन्ता परेशानी सुख एवं दु:ख की फिलीगं दुर होती जाएगी | परेशानी दुख भी आप हसते हूए काट लेंगें | हरि पल पल आपके साथ हैं महसुस होगा |

९   फाइवस्टार होटल में भी जाने की इक्छा नही होगी | कहने का मतलव बड़ा से बड़ा संसारिक सुख भी फिका लगने लगेगा |

१० , केवल वे ही अच्छे लगेंगें जो हरि की बात करे सुनावें , वाँकी लोगों से न राग न द्वेश कुछ भी महसुस नही करेंगें |

११ , अहंकार समाप्त होने लगेगा | सबमें प्रभू है चाहे वो कोइ भी हो , ऐसा महसुस होने लगेगा | मान अपमान , भय का एहसास नही होगा |

१२ . सभी का भला हो चाहे वो आपका दोस्त हो चाहे आपको नापसंद करने वाला क्युँ नही :- ऐसी भावना जागने लगेगी |

१३ . दुनिया की चकाचौध आपको नही लुभा पाऐगी ,

१४ धन दौलत , मकान जमीन पद , प्रतिष्ठा , नौकडी , व्यापार  केवल काम का होगा , उससे आसक्ति समाप्त  समाप्त होने लगेगी | आप आपने परिजनो के प्रति फर्ज केवल इस भावना से पुरा करेंगें की ऐ प्रभु की आज्ञा से ही , उनकी शक्ति से हीं उनके ही बच्चे है सभी ऐसा महसुस करके पुरा करेंगें |

१५ . काम , क्रोध , ईश्या , घृणा , नफरत , राग , द्वेश आदी क्षीण होती जाऐगी |

१६ . एकांत मे ज्यादा मन लगने लगेगा | आपका मेमोरी पावर बहुत बढ़ जाऐगा |

१७ . सात्विक खाना ही अच्छा लगेगा वो भी बस केवल शरीर चलाने के लिए जरुरी है ऐसा मान कर ,
कौस्टली खाने पीने के प्रति उदासिन हो जाऐगें |

१८ . प्रभु की मोहीनी मुरत निहारने का मन करेगा हर वक्त |

१९. आपको प्रकृति , जैसे पेड़ , पहाड़ , झरने , नदियां , फुल आदि मन भाने लगेगा |

२० . ब्रजधाम , गुरुधाम मन में बस जाएगा मन करेगा बार बार जाऐ |

२१ . पंछी , फुलों में प्रभु का आभास होगा |

इसके वाद कुछ इस तरह का होगा |

१. प्रभु को पाने का देखने का प्यास वलवती होती जाऐगी |

२. प्रभु का गुण , लीला , धाम के वारे में सुन कर आँखे भर आऐगी | आँसु आने लगेंगें |

३. आप केवल उनको ही हर तरफ हर वस्तु में ढुँढने की कोशीश करेंगें |

४. हर समय उनका इंतजार रहेगें की अब वो आऐगें , हमको गले लगाऐंगें |

५. उनका मोहीनी रुप बार बार आँखों के सामने आते रहेंगें और आप आँखें खोल कर भी उन्ही के सपनो में खोऐगें रहेगें , ठीक उसी तरह जीस तरह एक प्रेमी प्रेमीका एक दुसरे को पाने का सपना लिये इंतजार करता रहता हैं |
इसके बाद गुरु कृपा से कुछ इस तरह के लक्षण जिन्हे अष्ठ लक्षण कहते है प्रकट होगा जिसमें से कुछ को ही मै यहां लिख रहा हूँ |

१ . जब भी आप एकान्त में होगें या एकान्त साधना में होंगें तो आपको अविरल आँसु आऐगें , गरम गरम आँसु लगातार अपने आप आऐगें , आप नही रोक पाऐगें इनको |

२. स्वर कम्पित होने लगेगा | आप रा वोलेंगे , तो धा नही वोला जाऐगा या बहुत देर लगेगी वोलने में ,

३. गरमी में सर्दी और सर्दी में कभी कभी गरमी का अनुभव होने लगेगा | रोम रोम पुल्कित होने लगेगा |

४ .  शरीर हल्का होने लगेगा , शरीर कम्पित होने लगेगा |

५  . फिर शरीर कड़ा होने लगेगा | शरीर से खुशबुदार पसीना आने लगेगा |

६  . आपको मुर्छा आने लगेगा |

आगे का नही मालुम , हरि बोल...🌺

                                 
( Shreeji Gau Sewa Samiti )

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