अंतिम भाव मोरकुटी
मोरकुटी युगलरस लीला !!
अंतिम भाव !!
जय जय श्यामाश्याम !!
हे श्रीराधे माधव हे युगल !
कीजै कृपा महान अधमन पर
जासों मैं करती रहूँ
प्रेम सुधा रस पान
आप दोनों में ही समता रहै
भुलूं सब बिषय बिकार
पद कमलों में सदा ममता रहै
ममत्व अन्यत्र रहूँ भुलाए
मन सुमिरन करतौ रहै
मधुर मनोहर नित्य रस रसना सौं
नाम रूप गुन कौ गान करूँ
सकल तजि कै भोग अनित्य
आप में ही रमा रहे
जय श्रीराधा जयति
जय जय माधव
जय घनश्याम
जयति समर्पणमय अबिचल जोरि
जय बिमल प्रेम जय नित्य नव सुखधाम
राखिहौ नित्य पल संग'संगिनी'कै
रसिकबर बिपिन चरणन रज रसाल !!
जय जय युगल !!
जय जय युगलरस विपिन वृंदावन !!
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