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मोरकुटी युगलरस लीला-2

जय जय श्यामाश्याम  !!
मोरकुटी की रसपूर्ण पावन धरा पर ये मयूर मयूरी नृत्य क्रीड़ा कोई साधारण रस क्रीड़ा तब तक ही है जब तक इसे कोई रसरूप प्रेमी युगल ना निहारे।आखिर कौन इस अद्भुत गहन रस क्रीड़ा का प्रेमी दर्शक है आज जिनकी उपस्थिति ने मयूर मयूरी को असाधारण करूँ दिया है।आखिर क्यों इनका ये उत्साह से परिपूर्ण प्रेम नृत्य एक अनोखे उन्मादित उत्सव में परिवर्तित हो रहा है।

   तत्सुख भाव लिए ये मयूर युगलवर अपने नृत्य में प्रगाढ़ रस का प्रदर्शन कर रहे हैं।अनवरत अनथक नृत्य क्रीड़ा के साक्षी बने हैं विश्वविमोहन श्री श्यामसुंदर जु जिन्हें मोहित कर श्रीनित्यनिकुंजेश्वरी आज मोरकुटी की मखमली धरा पर प्रेमजनित मुद्रा में विराजीं हैं।अब जहाँ ये अखंड युगलवर विराजे हों वहाँ नित्य रस क्रीड़ाएँ अद्भुत स्वरूप से प्रकट होना अप्राकृत तो है ही पर स्वाभाविक भी।श्रीनिकुंज की धरा का मात्र रज कण भी जड़ नहीं अपितु चेतन विश्वास भावपूर्ण है जब श्यामा श्यामसुंदर जु के पद कमल चरणों का आश्रित है।एक एक पुष्प वल्लरी लता पता जीव पक्षी यहाँ श्यामा श्यामसुंदर जु के प्रेम रस से परिपूर्ण पूर्वराग हेतु नृतिका ही बना डोलता है।

    मयूर मयूरी भी श्यामा श्यामसुंदर जु की उपस्थिति से ही गहन नृत्य क्रीड़ा में स्लंगन हैं और उनसे उनका ही दृष्टि रस पाकर उनको ही नेत्रसुख प्रदान कर रहे हैं।इनका बल यहाँ कार्यरत ना होकर श्यामा श्यामसुंदर जु का ही प्रेम उद्भासित हो रहा है।यंत्रचालित से ये मयूर युगलवर निकुंज पवन में घुली श्यामा श्यामसुंदर जु की श्वासों की महक से ही रस प्राप्त कर उनके प्रेम राज्य की सीमाओं में उन हेतु ही अपना प्रेम प्रसार पा रहे हैं।

    श्यामा श्यामसुंदर जु इन मयूर युगल को निहारते निहारते स्वयं चित्रलिखित से हुए अपने ही प्रेम भावों की अद्भुत सुंदर रूपरेखा में डूब रहे हैं।जैसे कोई कवि अपनी कविता कोई रचनाकार अपनी रचना और प्रेमी हृदय सर्वत्र प्रेम को ही स्वयंचित्त उस रस में डूब उसे जीने लगता है ऐसा ही यहाँ श्यामा श्यामसुंदर जु संग है।श्यामा श्यामसुंदर जु मयूर मयूरी को इतनी गहनता से देख रहे हैं या उन्हें जीने लगे हैं यह भेद ही इस अद्भुत अनोखे प्रेम राज्य की विलक्षणता है।

     बलिहार !!प्रेम राज्य की अद्भुत प्रेम क्रीड़ाओं को कोई प्रेमी हृदय ही जड़वत् हो चेतन स्वरूप दे सकता है। कौन जाने इन प्रेम में डूबे नृत्य कर्ता मयूर युगल व प्रियाप्रियतम जु की अद्भुत अभिन्नता को।कब किस पल कौनसा सुमधुर सुंदरतम रूप ले ले ये राग अनुराग रूपी रस क्रीड़ा !!
क्रमशः

जय जय युगल !!
जय जय युगलरस विपिन वृंदावन  !!

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