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मोरकुटी युगलरस लीला-8

जय जय श्यामाश्याम  !!
अद्भुत नृत्य क्रीड़ा अप्राकृत राज्य के अप्राकृत प्रेम का अप्राकृत भाव प्रदर्शन श्री युगल करते करते भाव विभोर हुए डूबे सखियों को आनंद प्रदान कर रहे हैं।वहीं सखियाँ अपने अभिन्न स्वरूप भावों से प्रियाप्रियतम जु की नृत्य क्रीड़ा में गहरा संगीत गान कर उन्हें स्पंदन दे रही हैं।परस्पर सुख हेतु युगल सखियाँ सेवारत हो लीलारस को बढ़ा रही हैं।

     श्यामा जु के चरणों में पहनी पायल के नन्हे घुंघरू कटि पर करधनी की मधुर छोटी घंटियाँ और चूड़ियों की सुरीली खनक सब ताल से ताल मिला कर"राधे राधे"पुकार रहे हैं।उनकी श्यामल वेणी की सुनहरी कनखियाँ तो झूम झूम कर श्यामसुंदर जु को मंत्रमुग्ध करती"श्याम श्याम"कह उनको अपने प्रेम पाश से बाँध रही हैं।श्यामा जु के अधरों को स्पंदन देती नथ बेसर और मस्तक पर लगा माँग का टिक्का उनके मस्तक को चूमता"सांवरा सांवरा"कह सांवल सरकार के नेत्रों में समाता जा रहा है।श्यामा जु के कर्णफूल उनके कपोलों पर नाचते इतराते हिल हिल कर श्यामसुंदर जु के मुखकमल पर लिश्कोरें मारते उन्हें खींच रहे हैं।श्यामा जु के चरणों के अंगुष्ठ व नखों के नूपुर व दसों उंगली में पहनी अंगुठियाँ"श्यामाश्याम श्यामाश्याम"नाम ध्वनि करतीं तालबद्ध गान कर रही हैं।उनके गले पर पहने सुंदर मनमोहक हार श्यामा जु के वक्ष् का मंथन कर उनके हृदय के भावों को उनके कजरारे काले नयनों से रससुधा बहाते श्यामसुंदर जु को श्यामा जु का सब भाव वृतांत खोल सुना रहे हैं और काजल की लम्बी रेख की नुकीली धारें सीधे श्यामसुंदर जु के वक्ष् से हृदय में प्रवेश पा रही हैं।श्यामा जु के सुर्ख लाल अधरों की लाली"पिया पिया"रस में डूबी श्यामसुंदर जु के रस पिपासु अधरों को वाचाल करती जा रही है।श्यामा जु के मुख पर प्यारी सी मुस्कन उनकी दंतकांति मंद मंद श्यामसुंदर जु को आकर्षित कर रही है।श्यामा जु के माथे पर सजी चाँद सी लाल बिंदिया व भौहों पर चमकती छोटी बिन्दु सरीखी बिदियाँ श्वेत कणों से मिल चंदन की सीली महक बन श्यामसुंदर जु की नासिका को स्पंदन दे रहीं हैं।उनके मुखकमल से जैसे चाँदनी छिटक कर श्यामसुंदर जु के श्यामल नीलरंग को चमका चटका रहीं हो।नृत्य करतीं श्यामा जु जैसे श्यामसुंदर जु को ही रिझा रहीं हैं और अनवरत अद्भुत रस संचार करतीं उनकी श्वासों में महक बन घुलती जा रहीं हैं।

      वहीं समक्ष श्यामसुंदर जु के सिर पर लगा सुनहरी मोरपखा श्यामा जु को बार बार श्यामसुंदर जु की ओर आकर्षित कर रहा है।उनकी अद्भुत नृत्य क्रीड़ाओं में श्यामसुंदर जु का अंग अंग श्यामा जु को पुकार रहा है।श्यामसुंदर जु के मस्तक पर कस्तूरी तिलक श्यामा जु के वक्ष् पर लगे अंगराग से टकरा कर मनमोहक सतरंगी इन्द्रधनुषी झूला बना रहा है जिसकी तरंगें बिखर बिखर कर ब्यार में रंग भर रही है।श्यामसुंदर जु की अंगकांति से एक अद्भुत चमकता चटकीला प्रकाश प्रदान कर रहा है जिससे श्यामा जु की अंगकांति की चमक को चार चाँद लग रहे हैं।श्यामसुंदर जु के कानों के कुण्डल व नखबेसर"श्यामा श्यामा"पुकार कर दिव्य नाद कर रही है।उनके बाजुबंध व कंगन श्यामा जु का नाम ले ले कर उन्हें पुकारते हुए भुजपाश में श्यामा जु को भर लेने को उत्सुक हैं।श्यामसुंदर जु की पतली टेढ़ी कमर पर बंधा कमरबंध व विशाल वक्ष् पर लटकती गुंजामाल व हार"श्यामा श्यामा"पुकार उन्हें आमंत्रण दे रहे हैं।श्यामसुंदर जु के चरणों में बजते घुंघरू श्यामा जु के चरणों को छूने का प्रयास करते"श्याम राधिका"नामुच्चारण कर रहे हैं।उनकी आँखों का काजल व अधरों की लाली तो श्यामा जु के काजल व अधरों की लाली में घुलने को आतुर लालित्य रस बिखराती हुई रस ही रस बहा रही है।श्यामसुंदर जु के गहरे काले घुंघराले केश श्यामा जु के लिए सर्परूप अनगिनत श्यामसुंदर ही हैं जिनमें बंधने के लिए श्यामा जु स्वयं उन्मादित उत्तावली हैं।श्यामसुंदर जु पल पल श्यामा जु को अपनी चंचल दिव्य मुस्कान से मोहित कर रहे हैं।उनकी अचंबित मयूर रूप नृत्य भावभंगिमाएँ श्यामा जु को चकित करतीं उन्हें आकर्षित कर रही हैं प्रियतम के गहनतम प्रेमरस में डूबने के लिए।

     बलिहार  !!परस्पर सुख देते प्रियाप्रियतम जु नृत्य क्रीड़ा करते एकभाव लिए दो देह में अवतरित हुए हैं।कभी श्यामा जु का पीछा करते श्यामसुंदर जु तो कभी श्यामसुंदर जु के इर्द गिर्द झूमती नाचती गुनगुनाती श्यामा जु।अद्भुत रसक्रीड़ा करते युगल और अद्भुत गहन स्पंदन रसिक हृदय की दैहिक क्रियाओं में उफनता झुकता।श्यामा श्यामसुंदर जु को नमन करता नतमस्तक होता एक अभिन्न स्वरूप जो उनकी प्रेम रस सुधा में डूबने को सदा बह जाता।
क्रमशः

जय जय युगल  !!
जय जय युगलरस विपिन वृंदावन  !!

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