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मोरकुटी युगलरस भाव-3

जय जय श्यामाश्याम  !!
श्रीनिकुंज में काम्यवन की शोभा बढ़ाते श्री युगल मयूर युगल को एक टक निहार रहे हैं ।ना ये नृत्य क्रीड़ा ही थम रही है और ना ही श्यामा श्यामसुंदर जु की भाव अभिव्यक्ति जिसकी परिछाया बने हैं ये मयूर युगलवर।

   श्यामा श्यामसुंदर जु मोरकुटी की एक सुकोमल तृण कालीन पर सेज श्य्या पर विराजमान हैं जिसे युगल सखियों ने प्रियाप्रियतम जु के सुख हेतु आज यहाँ सजाया है।इस श्य्या पर युगल अधलेटी मुद्रा में सुशोभित हैं और उनके समक्ष ताम्बूल मेवे व सुगंधित पेय इत्यादि के पात्र सखियों ने रखे हैं।निकुंज की मंद मधुर ब्यार ही श्यामा श्यामसुंदर जु को चंवर डुरा रही है और श्री यमुना जी का शीतल जल अपने मंद वेग से बहता उन्हें सुख अनुभूति करा रहा है।

    सखियाँ आज ऋतुराज का हाथ थामे इस निकुंजवन की शोभा बढ़ा रही हैं और प्रियाप्रियतम जु जो एकांत वास कर रहे हैं यहाँ उनके अनुकूल हर परिस्थिति और वातावरण स्वत:प्रकट है।तत्सुख हेतु ही तमाम सखियों ने आज अद्भुत आवरण ओढ़ रखा है।सब कुछ देखते हुए भी वे स्वयं समाधिभाव में लीन हुईं अपने प्राणप्यारे सुहाग श्यामा श्यामसुंदर जु की सेवा कर रही हैं।

     श्यामा जु ने गहरे नीले रंग पर सुनहरी रत्न जड़ित लहंगे के साथ गहरी नारंगी ओढ़नी ले रखी है।लाल रंग की कंचुकी अति प्रिय लग रही है।उनके बदन पर अत्यधिक लुभावने आभूषण पहनाए गए हैं जो सूर्य की सुनहरी किरणों की चमक को भी रंगरूपरेखा प्रदान कर रहे हैं।उनकी वेणी में सुंदर व सुकोमल पुष्पमालाएँ गुंथित हैं।हरे रंग की सुंदर चुनरी पर जैसे नभमंडल के सितारे लगे हैं।श्यामा जु के रूप सौंदर्य की राशि के समक्ष सगरे हार श्रृंगार तुच्छ हैं पर ये श्यामसुंदर जु की प्रियता में चार चाँद लगाते हैं।श्यामा जु की पायल नूपुर की रूनझुन कटि पर बंधी करधनी गलमाल सुशोभित रत्नहार कपोलों को छूते चूमते कर्णफूल अधरों को स्पर्श करती नकबेसर भौहों तक का लम्बा माँगटिक्का व उसके नीचे बिंदिया के ऊपर सुसज्जित एक सुंदर नगरूप घुंघरू जो हिलता है तो।हाय !!
सखियों को मोहित करता ये श्रृंगार जाने श्यामसुंदर जु पर क्या क्या कहर ढाता है।

बलिहार  !!सच प्रेमी हृदय की वीणा के तार जब छिड़ते हैं तो उसके अंतर्मन के भावभावित रसराज श्यामसुंदर व रसराजरानी श्यामा जु अद्भुत ही होते हैं।प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष का भेद या अभिन्नता की परिछाया ही यह प्रेम और प्रेमी का हृदय संगीत बन बह जाता है और लफ्जों का आकार ले श्रीनिकुंज को तुलिका से रंग प्रदान करता है।देखो किन रंगों में ढलते हैं इसकी छवि के  श्रीश्यामसुंदर जु।

जय जय युगल !!
जय जय युगलरस विपिन वृंदावन  !!

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