मञ्जरी सेवा

☘🌹मंजरी सेवा🌹☘

☘श्री कृष्ण के द्वारा आप उनके वक्ष:स्थल पर बँध जाने (अर्थात उनसे अलग होने का प्रयास करने पर भी उनकी भुजा रूपी जाल मे फन्सी होने पर वाम्य स्वभाव के कारण नेत्रो से निरंतर आनन्दाश्रु प्रवाहित करेंगी तथा आपके अंगो पर स्वेद की बूँदे सुशोभित होंगी|आपकी अल्कावली इधर-उधर बिखर जायगी,वेनी(चोटी) खुल जायगी तथा निविका बंधन ढीला पड़ जायगा|आपको उस अवस्था मे देखकर मै अपने जन्म को संपूर्ण रूप से कृतार्थ मानुगी||5||☘

   🌹🌹निशा लीला🌹🌹

आपके द्वारा 'ना-ना-ना' ऐसे कहते रहने पर भी मेरे द्वारा रचित नाना प्रकार की कला से युक्त पुष्पो की शैया पर आपको स्थापित करके  रमण मे लगे हुए श्री कृष्ण का केलीकुंज के झरोखो से दर्शन करूँगी||6||☘

कुंज के बाहर बैठकर मै वीजन यंत्र(पंखे) की डोरी को पकड़कर धीरे धीरे खिंचती रहूँगी|इस प्रकार बाहर बैठने पर भी अपनी इस सेवा के द्वारा आप दोनो के अत्यन्त उन्नत लीला से उत्पन श्रम बिन्दुओ को क्रमश: दूर करूँगी तथा आप दोनो के द्वारा किये गये मंद-मंद हास्य की मधुर ध्वनि को यत्नपूर्वक श्रवण करूँगी||7||☘

☘श्री रूप मंजरी आदि मुख्य प्रियकिंकरियो के आदेशो को मै अपने सिर पर धारण करूँगी|जिसके द्वारा तुलसी की अत्यधिक कृपा की पात्री बनकर सुखपूर्वक सेवा करूँगी||8||☘

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