जय निताई 1

🌺जय श्री राधे🌺      🌺जय निताई 🌺
              
         🌙   श्री निताई चाँद🌙

क्रम: 1⃣

ब्रज के प्रसिद्ध ग्रंथों के जीर्णोद्धार एवं बंग भाषीय ग्रंथों के हिंदी रूपांतर करने में परम निपुण , साहित्य के क्षेत्र में  संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध श्री हरिनाम प्रेस के संस्थापक ब्रजविभूति श्री श्यामदास जी हकीम के द्वारा संपादित एक अद्भुत ग्रंथ श्री निताई चांद हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ।

जिसमें श्री नित्यानंद प्रभु जी के दिव्य चरित्र एवम महिमा का गान किया गया है ।

सभी संप्रदाय के महापुरुषों ने आचार्य की श्रेष्ठता बताई है। आचार्य के कृपा के बिना भगवत कृपा दुर्लभ है ।

टटिया स्थान के सभी संत श्रीहरिदास ! निरंतर पुकारते हैं । श्री बिहारिन दास जी तो इतना तक कहते हैं  "हौं तो और पिछानों नहीं हरिदास बिना हरि को है कहां को।"

वल्लभ संप्रदाय के श्री कुंभनदास जी महाराज श्रीनाथ जी को कहते हैं -आप चाहकर भी आचार्य द्वारा विग्रह के रूप में पधराए गए मंदिर से अंतर्ध्यान नहीं हो सकते ।

इसलिए सर्वप्रथम पूज्य आचार्य चरण हैं उनकी कृपा से आप सहज में प्राप्त हो जाएंगे।

इसी प्रकार सभी संप्रदाय के संत आचार्य चरण को महत्व देते हैं।

बलराम अवतार एवम तत्व होते हुए भी गौड़ीय परंपरा में श्री नित्यानंद प्रभु परम् दयाल, परम् करुण, अक्रोध परमानंद है, महाप्रभु के प्रेम वितरण के आप भंडारी हैं । आप के द्वारा गौर कृपा प्राप्ति सहज है।

श्री रघुनाथ दास गोस्वामी जी ने श्री नित्यानंद प्रभु से ना मिलकर सीधे गौर चरणों का आश्रय ले लिया, तो नित्यानंद प्रभु ने कहा- हमारी वस्तु हमसे बिना पूछे प्राप्त करना चाहते हो । तुमको दंड दिया जाएगा तब से दंड महोत्सव प्रारंभ हो गया जय निताई ! कहते ही गौर कृपा को प्राप्त हो जाती है सहज ही ।

इसी कृपा को प्राप्त करने के लिए आज से हम एक अद्भुत ग्रंथ श्री निताई चांद का रसास्वादन  प्रारंभ करेंगे ।

वर्तमान समय में सभी जीव काम, क्रोध ,लोभ ,मोह , राग द्वेष आदि विषयों में अधिक लिपायमान हो गया है । जिसके कारण दैहिक , दैविक , भौतिक तीन प्रकार के ताप से सतत तप रहै है । कहीं शांति नहीं है । इन सभी तापों से छुटकारा दिलाने वाले श्री हरिनाम है । और उस श्री हरिनाम का सबसे अधिक प्रचार प्रसार प्रेमावतार , कलिपावनावतार श्री चैतन्य महाप्रभु जी एवं उनके अभिन्न स्वरूप श्री नित्यानंद प्रभु जी ने किया है ।

साक्षात श्री कृष्ण ही चैतन्य महाप्रभु जी हैं और श्री बलराम जी ही श्री नित्यानंद प्रभु है ।

श्री नित्यानंद जी की कृपा के बिना गौर कृपा असंभव है । इसलिए हम श्री नित्यानंद प्रभु के चरणों में बार-बार वंदन करते हैं एवं उनसे प्रार्थना करते हैं कि हमारी गौर चरणों में निष्ठा प्रबल हो ।

श्री निताई चाँद ग्रंथ के पठन पाठन एवं श्रद्धापूर्वक मनन करके जीवन में उतारने का यदि हम प्रयास करें तो निश्चित रुप से श्री गौर चरणों में प्रीति बढ़ने के साथ-साथ हम भवसागर से सहज में पार हो जायेंगे ।
 
🌙जय निताई।🌙 💐जय श्री राधे💐

क्रमशः....

📝ग्रन्थलेखक :- व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी

🎓प्रेरणा : दासाभास डॉ. गिरिराज

✍प्रस्तुति : नेह किंकरी नीरू अरोड़ा

Comments

Popular posts from this blog

शुद्ध भक्त चरण रेणु

श्री शिक्षा अष्टकम

श्री राधा 1008 नाम माला