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अखंड ब्रह्मचर्य व रासलीला- 4

कोई पति-पुत्र या भाई को भोजन कराती वैसे ही अन्न सने कर आ रही थी। अनेक ने अपने अंक के शिशु को दुग्धपान कराना छोड़कर शिशु को भूमि पर ही डाल दिया था। जो जैसे जिस अवस्था में थीं, वैसे ही वंशी का स्वर सुनते ही दौड़ पड़ी थीं। इनका यह अस्त-व्यस्त शरीर, वस्त्र, आभरण, केश इनको और भी अधिक मनोहारी मादक बना रहे थे।

'अरे कहाँ जा रही है? इस समय वन में मत जा'  अनेकों के पतियों, पुत्रों, पिताओं अथवा भाइयों ने उन्हें रोका पुकारा किंतु किसी के भी श्रवण में तो वंशी के स्वर के अतिरिक्त और कुछ सुनने की शक्ति नहीं। मैं अपने उन्मादक प्रभाव से परिचित हूँ किंतु इतना अपरिसीम प्रभाव इसकी तो मैं भी कल्पना नहीं कर सकता।

मुझे अनेक कल्पनीय चमत्कार देखने को मिले एक साथ। अनेकों को उनके पिता, पति या भाई पकड़ लेने में सफल हो गये अथवा गृह द्वार अवरुद्ध कर दिया उन्होंने। इस प्रकार जो भी मार्ग नहीं पा सकीं, उनके नेत्र बन्द हो गये। अपने परम प्रेमास्पद के असह्य वियोग से उनके शरीर पल भर में काले पड़ गये। इतनी अपार पीड़ा इनके कोई जन्म-जन्मान्तर के अपकर्म होंगे भी तो अवश्य वे भस्म हो गये होंगे। दूसरे ही पल उनके अंगो पर, मुख पर जो ज्योति आई वह ज्योति, वह आभा तो मैंने स्वर्ग के किसी सुर के शरीर में नहीं देखी।

वैसे कान्ति केवल वंशी बजाते गोपकुमार श्रीकृष्ण में ही मैंने आज देखी है। अवश्य इनके ध्यान की तल्लीनता से वह रूप इनके हृदय में आविर्भूत हुआ होगा। इन्होंने अपने अन्तर में उस अपने प्रिय का आलिंगन पाया। इतना आह्लाद एक साथ अवश्य सम्पूर्ण पुण्यों का परम फल मिल गया इन्हें। इतना शोक या हर्ष प्राकृत शरीर सह नहीं सकता। इनके शरीर निष्प्राण हो गये किंतु चमत्कार तो मैं देखता हूँ।

गोपपल्ली के गृहों में पड़े हैं इनके निष्प्राण शरीर और ये साकार सबसे पहिले पहुँच गयीं श्रीकृष्ण के समीप। इनके ये शरीर आतिवाहिक देह नहीं हैं। यातना देह होते तो नरक जाते। भोग देह भी नहीं जो स्वर्ग जायें। इनके ये दिव्य देह इनका दिव्यत्व मैं समझ नहीं पाता।

मैं समझ नहीं पाता कि व्रज से जो बालिकायें वंशी का स्वर सुनकर दौड़ी थीं, वे तो कुछ पलों में ही अपने गृहों को लौट गयीं। प्रायः सब नारियाँ लौट गयीं उसी समय। उनके स्वजनों ने उपहास किया उनका- 'बस वन देखा और डर गयीं? नन्दनन्दन वंशी बजावे तो क्या हमारा मन उसके समीप दौड़ जाने को नहीं करता किंतु इस समय क्या वह वन में बैठा है? व्रजराज या व्रजेश्वरी इस समय उसे वन में जाने देंगी?
(साभार-नन्दनन्दन से)
क्रमश:

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