आरती राधा बाबा की

"आरती राधा बाबा की"
आरती  राधा   बाबा  की बसाये उर छवि राधा की, आरती राधाबाबा की
तनय अधिकारिणी न्यारे, पिता महीपाल के प्यारे,फखरपुर में बदन धारे।
मंगल करन, अमंगल हरण, मगध की आभा की, (आरती राधाबाबा की)
वसन गेरुआ, सहज आसन, चमकता तेज से आनन, नेह-रस-सिक्त हिय कानन
मौन या मुखर, सहज या प्रखर, रटन बस राधा-राधा की, (आरती राधाबाबा की)
बनाकर गोरखपुर को धाम, दिखाये लीला नित्य ललाम, सँवारे भाईजी के काम
होकर मगन, लगाकर लगन, बचायी महिमा वादा की, (आरती राधाबाबा की)
आरती जो यह नित गावे, राधाबाबा को जो ध्यावे, भक्ति राधा की वह  पावे  
शोक-दुख मिटे, शांति-सुख जुटे, छँटे हर बदली बाधा की, (आरती राधा बाबा की)
                                     "सतीश कुमार मिश्र"

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