भगवत नाम महिमा

“भगवन्नामकी चमत्कारी महिमा”

(१) भगवन्नाम लेना जबसे शुरू किया, समझना चाहिये कि तभीसे जीवनकी असली शुरुआत हुई है ।
(२) भगवन्नाममें ऐसी अलौकिक शक्ति है कि वह क्षणभरमें महान्-से-महान् गंदगीको धोकर परम निर्मल एवं शुद्ध कर डालती है ।
(३) नाम लेनेवालेका भला होनेमें किंचित् भी संदेह नहीं है ।
(४) नाम और नामी दो वस्तु नहीं हैं ।
(५) भगवन्नाम पाप धो देगा, विशुद्ध कर देगा, भगवान् से मिलनेकी आतुरता पैदा कर देगा ।
(६) भगवन्नाम जीभपर आते ही ऐसा सोचना चाहिये कि भगवान् के साथ हमारा स्पर्श हो रहा है ।
(७) भगवन्नामके समान विशुद्ध करनेवाली अन्य कोई वस्तु नहीं है ।
(८) जहाँ भगवन्नामका जोर-जोरसे कीर्तन होता है, वहाँका सारा वायुमण्डल महान् पवित्र हो जाता है ।
(९) भगवान् के नामका जप सुबह आँख खुलते ही शुरू कर दे और रात्रिको जबतक जगता रहे, तबतक चलता रहे ।
(१०) भगवन्नामका उच्चारण करते समय महान्-से-महान् रसका अबुभाव करे और ऐसी भावना करे कि मेरे शरीरमें जो साढ़े तीन करोड़ रोम हैं, उन सबसे भगवन्नामका ही उच्चारण हो रहा है ।
(११) जीभसे नाम लेते समय कानसे उसे ठीक-ठीक सुने तो वह ध्यानसहित नाम-जप हो गया ।
(१२) इस कलियुगमें और साधन भले ही कठिन हों, पर जीभसे नाम लेनेमें कोई कठिनाई नहीं है ।
(१३) नाम जपते जाओ और भवसागरसे तरते जाओ – गोस्वामीजीने कहा है – गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास ।।
(१४) भगवन्नामको जिसने अपना लिया भगवान् उसके अनायास ही अपने बन जाते हैं ।
(१५) भगवन्नाम भगवान् के चरणोंमें भक्ति लगा देगा ।
(‘कल्याण’ पत्रिका; वर्ष – ६६, संख्या – ११ : गीताप्रेस, गोरखपुर)

Comments

Popular posts from this blog

शुद्ध भक्त चरण रेणु

श्री शिक्षा अष्टकम

श्री राधा 1008 नाम माला