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🌸जय श्री राधे🌸     💐जय निताई 💐
              
         🌙   श्री निताई चाँद🌙

क्रम: 6⃣

    समय पर बाल निताई घुटरुवन चलकर भवन से बाहर जाने लगे। थोड़े दिनों में माता ने उंगली पकड़कर चलना सिखाया। कुछ बड़े हुए तो अनेक सखा भी आकर संग खेलने लगे। हर समय सखाओ से घिरे  रहते बाल निताई। भूख प्यास भी भूले रहते। माता बार-बार पकड़ने जाती और आप दूर भाग जाते।
     🌿  थोड़े दिनों में सहज कृष्ण उसने स्नेही उमड़ पड़ा। हर बात में श्री कृष्ण की स्फूर्ति जाग उठी। हर खेल क्या था श्री कृष्ण लीला थी। कोई पृथ्वी बनकर भू भार हरण की प्रार्थना करता और कोई बालक विष्णु बनकर वृक्ष पर चढ़कर आश्वासन देता। हे देवी देवताओं मैं गोकुल में नंद यशोदा के घर शीघ्र अवतार लेकर पृथ्वी का भार हरण करूंगा ।                 🌹    कभी जन्म लीला कभी पूतना वध तो कभी माखन चोरी लीला का मिलकर अनुकरण करते। निताई चांद इस प्रकार गांव भर के शिशुओं को ऐसा मोहित किए रहते कि कोई भी बालक इनको छोड़ कर अपने घर नहीं जाना चाहता था। गांववासी आश्चर्यचकित हो उठे बाल निताई कि ऐसी अपूर्व बाल्य लीलाओ को देख कर। वे यह न जान सके की इतना छोटा बालक इन समस्त कृष्ण लीलाओं को कैसे जानता है?   
       🌿  केवल श्री कृष्ण की ब्रज लीलाओं का ही अनुकरण नहीं कभी ,श्रीवामन ,कभी श्री नरसिंह और कभी श्री राघवेंद्र सरकार की समस्त लीलाओं का अद्भुत अनुकरण करने लगते ।
      🌿 एक दिन तो श्री लक्ष्मण आवेश में आप मूर्छित हो गए और घंटों अचेत अवस्था में पड़े रहे। समस्त सखा ग्रामवासी तथा माता पिता इस अवस्था को देखकर व्याकुल होकर रोने लगे। श्री रामरूपधारी बालक ने जब श्री हनुमान रूपधारी बालक द्वारा संजीवनी बूटी मंगाई तभी आपको चेतना हुई । इस प्रकार अनेक अनेक अवतार लीला द्वारा श्री निताई चांद ने समस्त परिजनों को चकित कर दिया।
        🌹    सब जान गए यह बाल निताई कोई साधारण बालक नहीं है परंतु फिर भी वह यह न जान सके कि यह तो स्वयं श्री बलराम ही हमारे बीच प्रकट हुए हैं। एक ऐसा अद्भुत आकर्षण था सब इनके दर्शन विना एक क्षण भी नहीं रह सकते थे।

क्रमशः....

📝ग्रन्थ लेखक :-
व्रजविभूति श्री श्यामदास जी
🎓प्रेरणा : दासाभास गिरिराज  नांगिया जी

✍प्रस्तुति : नेह किंकरी नीरू अरोड़ा

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