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🌸जय श्री राधे🌸      💐जय निताई 💐
       🌙 श्री निताई चाँद🌙

क्रम:5⃣
नित्यानंदमहं नौमि सर्वानंदकरं परम ।
हरिनामप्रदं देवमवधूत शिरोमणिम।
रोहिणी वसुदेवौ यौ पितरौ रामकृष्णयो:।
पद्मावती मुकुंदा तौ संतौ जातौ द्विजोत्तमौ।।

      🌿श्रीमन नित्यानंद प्रभु के चरणों में मैं प्रणाम करता हूं , जो समस्त आनंद राशि के प्रदान करने वाले परम तत्व हैं । श्री हरि नाम प्रदान करने वाले हैं एवं अवधूत शिरोमणि है । ब्रजलीला में श्री कृष्ण एवं श्री बलराम के जो माता पिता श्री रोहिणी देवी और श्री वसुदेव जी थे वही दोनों नवद्वीप लीला में श्री पद्मावती एवं श्री मुकुंद जी के नाम से श्रेष्ठ द्विज रूप में आविर्भूत हुए जिनसे श्रीमन नित्यानंद प्रभु का आविर्भाव हुआ।

       🌿शांडिल्य गोत्रिय श्री नारायण भट्ट चतुर्वेदी के वंश में श्री चंद्रकेतु जी उत्पन्न हुए । उनके पुत्र हुए श्री सुंदरामल्ल । उनके पुत्र थे सुनाम धन्य श्री मुकुंद जी। जिनकी ख्याति श्री हाडाई पंडित नाम से हुई ।
     🌿  परम वैष्णवी शक्ति पतिव्रता शिरोमणि श्रीमती पद्मावती इनकी पत्नी थी जो गौड़ेश्वर के राजा श्री मुकुटराय की पुत्री थी । परम उदार, महा विरक्त परम भगवत भक्त चित् थे यह दंपति ।
   🌹  त्रेता युग में अयोध्या लीला में श्री मुकुंद थे, श्री दशरथ महाराज और पद्मावती थी महारानी सुमित्रा जी । द्वापर लीला में श्री मुकुंद ही श्री वसुदेव थे और श्री पद्मावती थी श्री रोहनी  जी । नवदीप लीला में इन्हीं के घर श्रीमन नित्यानंद प्रभु का पुत्र रूप में आविर्भाव हुआ । श्री मुकुंद पंडित के सबसे बड़े पुत्र थे श्रीमन नित्यानंद प्रभु जिनका बालापन में नाम था चिदानंद । श्री रामलीला में यह लक्ष्मण जी थे और ब्रज लीला में श्री बलराम संकर्षण तथा श्री दाऊजी के नाम से प्रसिद्ध हैं नवद्वीप लीला में आप श्री निताई चांद हैं।

      🌿  वीरभूमि जिला अंतर्गत  एकचक्रा  गांव में सुखपूर्वक निवास करते थे श्री हाड़ाई पंडित अपनी पत्नी पद्मावती के साथ। माघ शुक्ल त्रयोदशी का शुभ दिन था । आकाश मंडल किसी शुभ मंगलमय समाचार की सूचना दे रहा था । चारों दिशाओं में शुभ शकुन अपूर्व शांति नया उत्साह छा रहा था । वह शुभ दिन श्री निताई चांद ने जन्म लीला प्रगटकर शांडिल्य गोत्र के ब्राह्मण वंश को विश्व में समोज्जवल करते हुए पंडित श्री मुकुंद चंद एवं श्रीमती पद्मावती को आनंद धारा से अभिशिक्त कर दिया। छोटा सा चांद किंतु महान ज्योति प्रसारित हो उठी । भवन में चारों ओर एक प्रकाश सा छा गया । शुभ संवाद सुनते ही नवयुवती वृंद सज धज कर श्री पद्मावती के घर की ओर अनेक मंगल द्रव्य ले ले कर चल पड़ी। घर घर में मंगल गीतों की ध्वनि होने लगी ।
       🌹 नवजात शिशु को देखते ही नर नारी मंत्रमुग्ध हो उठे । कृष्ण प्रेम ही मूर्तिमान होकर नाच रहा था सुंदर पर्यंक पर । अति गौरवर्ण छोटे-छोटे हाथ पांव लाल कमल की तरह मस्तक अति काली स्निध अलकावली से विभूषित था , मंद मुस्कान आशय को प्रकट कर रही थी ।
        🌿दर्शकों की भीड़ जुट गई हर तरफ से बधाई गाई जाने लगी । श्री मुकुंद ने नांदीमुख श्राद्ध आदि कुलरित कर विप्रजनों को वस्त्र भूषण गौओ का दान कर परम आनंद लाभ प्राप्त किया ।

क्रमशः....

ग्रन्थ लेखक :-
व्रजविभूति श्री श्यामदासजी

प्रेरणा :
दासाभास डॉ. गिरिराज  जी

प्रस्तुति : नेह किंकरी नीरू अरोड़ा

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