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श्रीग़ौरवल्लभाप्रेमामृत

श्रीप्रियाजी का भजन गम्भीरा में बहुत ही प्रगाढ़ था उनकी दो अंतरंग सखीया श्रीअमिता और काँचना ही उनके उस महाप्रेम ग़ौर विरह को जान सकती थी। श्रीप्रिया जी के नेत्रो से हज़ारों अश्रुधाराए नदियों के भाँति बहती थी
श्रीप्रियाजी की गम्भीरा लीला कोई क्या कह सकता है?
इस श्रीप्रियाजी की गम्भीरा लीला के प्रेम समुद्र में डूबकर ही कोई कोई कुछ अंश तक उस ग़ौर प्रेम का अनुमान थोड़ा सा लगा सकता है
जब वह पहली बार श्रीजाहनबा माता( श्रीनित्यानंदप्रभु शक्ति उनकी धर्मपत्नी) श्रीसीतादेवी( श्रीअद्वैतआचार्य पत्नी) से मिली तब भी वह मौन ही रही, उनका ग़ौर भजन बड़ता गया और उनका प्रसाद पाना भी कम हो गया।
कुछ दिन तो वह केवल प्रसाद भी नहीं केवल श्रीमहाप्रभु चरण तुलसी और श्रीगंगाजल जो इनके भाई श्रीयादवचार्या लाते थे। प्रियाजी का पूर्ण मन श्रीमहाप्रभुजी के चरणपादुका में अनुरक्त हो चुका था

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