सम्रोपण करुणामयी निताई
*समर्पण*
*करुणामय श्रीनिताईचाँद !*
*आपकी वस्तु आपको*
*श्याम*
*भवामि भक्तरूपेण भवभार–प्रभजनात् ।*
*सांगोपांगे नवद्वीपे चाविर्भूतो भवाम्यऽहम् ।।*
*नित्यानन्द स्वरूपेण चाग्रजो मे भवेत् खलु ।*
*तस्य प्रसादमात्रेण कलिघोरं न बाधते ।।*
*नाना कलुषयुक्तानां पाषण्डाणां दुरात्मनाम् ।*
*दत्त्वा नाम हरेर्दैवस्तेषां मुक्ति करिष्यति।।*
*मम भक्ति प्रकाशाय बहुभिश्चान्यकर्मभिः ।*
*कृत्वा च पालयत्येव नित्यानन्दो ममाग्रजः ।।*
श्रीभगवद्मुखोक्ति (भ० महापुराण, १०१)
पृथ्वी का भार हटाने के लिए मैं (श्रीकृष्ण) नवद्वीप में अंग-उपांगों सहित भक्तरूप (श्रीकृष्णचैतन्यरूप) में अवतीर्ण होऊँगा। मेरे भाई (श्रीबलराम) श्रीनित्यानन्द-रूप से आविर्भूत होंगे।उनकी कृपा से घोर कलियुग की कुछ भी बाधा उत्पन्न न हो पायेगी नाना पापियों, पाखण्डियों तथा दुष्टचित्त लोगों को 'श्रीहरिनाम' प्रदान कर उनके भव-माया बन्धन को वे काट देंगे। मेरे अग्रज श्रीमन्नित्यानन्द मेरी भक्ति को प्रकाशित करने के लिए और भी अनेक लीलाएँ तथा आचरणों का पालन करेंगे।
क्रमशः
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