राधेरानी नेत्र शोभा
🌀 *सखियों द्वारा राधारानी नेत्र शोभा का वर्णन*
सखियाँ कहती हैं राधारानी नेत्रों की शोभा का वर्णन करने में हम भी समर्थ नहीं
विधाता ने जगत के समस्त माधुर्य और गुणयुक्त पदार्थो का सार संग्रह कर राधारानी के नेत्र बनाए हैं
और सार निकाल लेने पर जो सारहीन तत्व भूमि पर डाला है,
उसीसे संपुर्ण जगत को मतवाला करे ऐसा पुष्पों आदि का सौंदर्य निर्माण हुआ है
जब सारहीन का ऐसा सौंदर्य तो सम्पूर्ण श्री-सार राधारानी के नेत्रों का सौंदर्य क्या वर्णन किया जा सकता है?
【यहां ध्यान रखनेवाली बात है कि सखियाँ यहां जिन पुष्प,चंद्रमा आदि से तुलना कर रही हैं,वह सभी दिव्य है दोषहीन हैं,transcendental हैं।
किसी material या भौतिक वस्तु से तुलना नहीं कर रही।
दिव्य पुष्पों का दिव्य सौंदर्य भी राधारानी के नेत्रों की एक दृष्टि के आगे फीका है】
सखियाँ आगे कहती हैं-
राधारानी के नेत्रगोलक(पुतलियां) चंचल भ्रमर जैसे हैं,जो क्षण मात्र को भी श्यामसुन्दर मुख कमल का त्याग नहीं करते
और राधारानी की भौहें अपराजिता की लता समान है
ये भ्रू युगल(भौहें) सदा अपराजित हैं
आजतक हमने इनके आगे श्यामसुंदर को आजतक जीतते नहीं देखा
ज़रासा कुंचित होते ही अपराजेय श्यामसुन्दर हथियार डाल देते हैं
भौहों को देखकर लगता है अपराजिता लता हैं ,
और राधारानी के दोनों नेत्रों को देखकर लगता है उस लता के दो श्याम पुष्प हैं
【अपराजिता पुष्प नीले होते हैं】"
जयजय श्रीश्रीराधेश्याम🙏🏼🙇🏻♂🌹
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