सर्वश्रेष्ठ आभूषण

श्री कृष्ण का सर्वश्रेष्ठ शिरोभूषण क्या है??

श्रीराधा के चरणों से लगा अलक्तक चिन्ह ही श्रीकृष्ण का सर्वश्रेष्ठ शिरोभूषण है

श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी जी कहते हैं सिर की जो शोभा मयूरपुच्छ से नही होती,वह आलता चिन्ह से होती है

क्यों?

मयूरपुच्छ सिर पर क्यों?

श्रीकृष्ण गोचारण को जाते हैं,तो उनकी नव जलधर कांति देखकर वृन्दावन के मयूर आनंद में आत्महारा होकर नृत्य करने लगते हैं

उन सबका नृत्य देखकर नटवर गोविंद भी अपने पीठ की ओर से कटिवस्त्र को मोरपुच्छ की तरह दोनों हाथोंसे उठाकर मयूर की तरह नाच उठते हैं

उन्हें देखकर मोर और हर्ष के साथ नाचने लगते हैं।ऐसा करनेसे उनके 2-4 पंख झड़ जाते हैं

श्रीकृष्ण को लगता है जैसे मोर कह रहे हैं-'हे प्रेम के देवता!विधाता हंमे मनुष्य देह देते,तो इन वन फूल फलों से तुम्हारी सेवा करते।हाय!यह सौभाग्य हंमे प्राप्त नही।हम हैं पक्षीजाति।हमारे ये रंगीन पंख सभी पसन्द करते हैं।यदि तुम हमारा यह तुच्छ उपहार सप्रेम ग्रहण करो तो हम धन्य हो जाये'

जो भक्त के एक तुलसीपत्र और एक अंजली जल के विनिमय में आत्मदान करते हैं,वे उन सबका प्रेम उपहार नित्य सादर मस्तक भूषण के रूप में ग्रहण करते हैं

श्रीकृष्ण हैं *श्रृंगार रस मूर्ति*

(घनीभूत श्रृंगार रस का रंग श्याम होता है)

श्रीराधा के घनीभूत प्रेम महभाव मूर्ति

उनके श्रीचरणों का जावक उनके श्रीचरणों से निकले प्रचुर महाभावरस से भावित है।

यही श्रीकृष्ण के लिए श्रेष्ठतम प्रेम उपहार है।इसलिए इसे मस्तक पर धारण कर श्रीकृष्ण का इतना शोभाधिक्य है।

यहां रस ने स्वयम उन्हें सजाया है

*सच्चिदानंद के ऊपर प्रेम का रंग चढ़ाया है*

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