लीला

यमुना का किनारा है यमुना जी की निर्मल धारा बह रही है अत्यंत सुंदरता बिखरी हुई है मंद मंद सुगंधित पवन चल रही है दोनों ओर वृक्ष लगे हैं उनकी लताएं यमुना जी में गिर रही है वृक्ष की लताओं पर फूलों की सुंदर सुंदर बेले लटक रही हैं उन फूलों की शोभा देखते ही बनती है मोर तोता पपीहा कलरव कर रहे हैं आज सखियों ने प्रिया प्रीतम के लिए फूलों से एक बेड़ा बनाया है कमल से इस तरह संजोये हुए है वे बेडा यमुना जी के एकदम बीचो बीच है कमल के फूल हल्के हल्के गुलाबी रंग के हैं इस पर एक आसन लगा है आसन रतन जड़ित है कमलो से सजाया हुआ है चारों तरफ मणिया  लगी हुई है उस बेडे से यमुना जी के दूसरे किनारे तक सुंदर कमलो कि ही एक बहुत सुंदर पगडंडी की तरह चादर बिछाई हुई है बेटे के चारों तरफ छोटे-छोटे खंबे हैं और ऊपर एक ऐसा मंदिर नमूना गुंबद बना हुआ है जिसमें से जल की धाराएं निकलती हुई दिखाई दे  रही है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह गुंबद जल की धारा से ही बना हुआ है लेकिन उसका जल बेडे  पर नहीं आ रहा है उस की धाराएं रंग बदलती है कभी नीली कभी पीली  कभी हरी और उनमें से प्रकाश निकलता है देखने में इतना सुंदर लग रहा है कि क्या कहूं संध्या का समय है प्रिया प्रीतम को लेकर सखियां वहां आ रही है उस कमलो की पगडंडी पर नुमा  चादर से प्रिया प्रीतम बहुत ही धीमे धीमे कदमों से चलकर प्रिया जी का हाथ पकड़कर उस बेडे  पर आते हैं सखियां उस आसन पर विराजमान करती हैं उनके बैठते ही गुंबद के अंदर से फूलों की वर्षा होने लगती है और छोटे छोटे खंभों पर गोल चकरिया लगी हुई है उनमें से अपने आप लाल पीले फूलों की पत्तियां उन पर पड़ने लगती है दूर से देखने से ऐसा पता लगता है कि हजारों इंद्रधनुष ने आकर घेरा डाला हुआ है सखिया प्रिया प्रीतम को भोग लगाती है अनेकों प्रकार के शरबत पकवान मिठाई आदि से भोग आरोगने  के बाद सब सखियों को प्रसाद बांट देते हैं एक सखी फिर भी पान की बीडी लाकर गुरु रूपा सखी को देती है गुरु रूपा सखी अर्थात रंग देवी जी प्रिया प्रीतम को पान की बीडी का भोग लगाती है तभी एक सखी पीछे से बाजे जैसी आकृति की जिस पर चित्रकारी की हुई है उसमें फूंक मारती है तो उसमें से रंग रूपी बादल बादल निकलते हैं गुलाबी रंग पीला हरा अनेकों प्रकार के बादल चारों तरफ हो जाते हैं यह देखकर ठाकुर जी बहुत ही खुश होते हैं श्री जी के साथ उस रंग बिरंगे बादल में घूमते हुए नाचने लगते हैं यह देख कर सब सखियां वहा आ जाती है साज बाज लेकर सब सखियां जैसे ही एकत्रित  हो कर नाचने लगती है उनके साथ वह बेड़ा उस गुंबद का आकार भी बदलने लगता है सब सखियां नाचती गाती और झूमती हुई प्रिया प्रीतम के प्रेम रस को देख देख कर एक दूसरे के गले लक करके झूमती है यह देखकर यमुना जी में मछलियां भी तैर रही है हंस भी अपनी अपनी मस्ती में आनंद विभोर हो रहे हैं बोलो लाडली लाल की जय

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