दुती वेश

*श्याम सुंदर दूती वेश*

एकबार श्रीराधा कृष्ण विरह में अत्यंत व्याकुल थी,परन्तु उनसे मिलने नही जा पा रही थी

तब श्रीकृष्ण दूती का वेश धारण कर श्रीराधाजी से मिलने पहुंचे

श्रीराधाजी ने पूछा-"तुम कौन हो?"

दूती-"मैं दूती हूँ"

श्रीराधा -"किसकी दूती हो?"

दूती-"तुम्हारे प्रिय की अनुगता हूँ, उन्ही की दूती हूँ"

श्रीराधा-"अच्छा तुम उनकी अनुगता हो ,तो तुम  में क्या गुण हैं?"

दूती-"मुझमे तुम्हारे प्रिय के समान गुण है"

श्रीराधा-"क्या प्रमाण है?"

दूती-"आप अनुमति दें तो आपके सबसे प्रिय राग में  आपका एक अत्यंत प्रिय गान सुनाऊं?"

श्रीराधा दूती की बात सुनकर आश्चर्य मिश्रित संशय में पड़ गई,इसे मेरा प्रिय गान कैसे पता।फिर सोची -"ओहो अवश्य ललिता के मुखसे सुनी होगी"

श्रीराधा कौतुक वश बोली-"अनुमति है"

तब दूती वेश में श्याम सुंदर ने ऐसा अद्वितीय राग छेड़ा ऐसा सुमधुर गान किया कि प्रियाजी विस्मित हो गईं

श्रीराधाजी उनके गायन मात्र से उन्हें तत्काल पहचान गई कि ये श्याम सुंदर हैं
क्योंकि जो गीत था वो श्रीराधा ने एकांत में श्याम सुंदर को सिखाया था,उसे कोई और जान ही नही सकता था

श्रीराधा बोलीं-"प्रियतम!धन्य है आपका प्रेम।प्रेम करना वास्तव में आप ही जानते हैं,जो इस तरह विविध कौतुक से मेरी व्यथा दूर करने आए हैं"

इस प्रकार श्रीकृष्ण विरह में दुखित श्रीराधा को प्रसन्न करने श्याम सुंदर नाना वेश धरते हैं

जय श्री श्री राधे श्याम🙏🏼🙇🏻🌹

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