वैष्णवो के गुण

*वैष्णवों में यह २६ गुण उपस्थित होने चाहिए.*

श्री चैतन्य चरितामृत के रचयिता,
श्रील कृष्णदास कविराज कहते हैं कि एक वैष्णव में  सभी अच्छे गुण प्रकट हो जाते हैं तथा इन्हीं सद्गुणों की उपस्थिति से कोई एक वैष्णव या अवैष्णव में भेद कर सकता है।
*श्रील कृष्णदास कविराज इन २६ सद-गुणों को सूचीबद्ध करते हैं :*
१) वह सभी के प्रति दयाभाव रखता है
२) वह किसी को अपना शत्रु नहीं बनाता  
३) वह सत्यवादी होता है
४) वह सभी से समभाव रखता है
५) वह दोषरहित होता है
६) वह उदार चरित होता है
७) वह मृदु-स्वाभाव का होता है
८) वह नित्य शुचिता का पालन करता है
९) वह संपत्ति संग्रह नहीं करता
१०) वह सभी के हित के लिए कार्य करता है
११) वह अत्यंत शांतिमय होता है
१२) वह सदैव कृष्ण को समर्पित रहता है
१३) उसमे कोई भौतिक इच्छाएं नहीं रखता
१४) वह बहुत नम्र होता है
१५) वह स्थिर-भाव होता है
१६) वह अपनी इन्द्रियों को संयमित रखता है
१७) वह आवश्यकता से अधिक नहीं खाता
१८) वह भगवान् की माया शक्ति से प्रभावित नहीं होता
१९) वह सबका सम्मान करता है
२०) वह स्वयं के लिए सम्मान की आशा नहीं रखता
२१) वह गंभीर होता है
२२) वह दयालु होता है
२३) वह मिलनसार होता है
२४) वह काव्यमय होता है
२५) वह दक्ष होता है
२६) वह शांत होता है
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण*
*कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।*
     *हरे राम हरे राम ,*
     *राम राम हरे हरे

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